सामुदायिक थिएटर





A. समुदाय लोगों से बना होता है.हर समुदाय में भिन्न सांस्कृतिक मतों के लोग रहते हैं. समय के साथ बढ़ते शहरी प्रवास ने लोक कलाओं को बिसरा दिया है.अनेक सामुदायिक धरोहरें लुप्त होने की कगार पर हैं. यह चिंताजनक है और इन्हें बचाने की ज़रूरत है. समुदाय में लोग साझा अनुभवों के माध्यम से जुड़े रहते हैं. थिएटर लोगों को साथ जुटने का अवसर प्रदान करता है.लोग चर्चा करते हैं और विचारों का आदान प्रदान होता है. दुःख सुख बांटने से समुदाय के लोगों के बीच सम्बन्ध प्रगाढ़ होते हैं.
B. समुदाय में क्रियाशील होना बहुत ज़रूरी है. यह व्यक्तियों की क्षमताओं , और समुदाय के ज्ञान की नीवं और उसकी संभावनाओं को देखकर करना होगा. सशक्त समुदाय : समाज सेवी संस्थाएं समुदाय के लोगों से बातचीत कर उन्हें अपनी समस्याओं को व्यक्त करने और उसनके समाधान ढूँढने में मदद कर सकती हैं. ज्ञान की नीवं : ज्ञान की नीवं को अधिक समृद्ध करने की ज़रूरत है.
C. सामुदायिक थिएटर स्थानीय रेपेर्टोरी की तरह है और पारंपरिक लोक नाट्य की परंपरा को पुनर्जीवित करने की दिशा में क्रियाशील है.परिवर्तन नाट्य मंडली में10 गाँवों के 15 कलाकार हैं.पंचलाइट,गबर घिचोर ,पुतन की रामलीला, आला अफसर,तुम सम पुरुष न मो सम नारी जैसे अनेक नाटक परिवर्तन परिसर और आस -पास के गाँवों में खेले जा चुके हैं.ग्रामीण नाट्य उत्सव भी समय- समय पर आयोजित किये जाते हैं जिससे ग्रामीण दर्शकों को विविधायामी नाटक देखने का आस्वाद मिले.नुक्कड़ नाटकों के मंचन द्वारा समुदायों को लिंग भेद के पूर्वाग्रहों और स्वछता की ज़रूरतों की जानकारी दी जाती है.एक बाल थिएटर रेपेर्टोरी के भी गठन की योजना है, जिसके द्वारा बच्चों को शिक्षित करने का प्रयास किया जायेगा.इप्टा के कई सदस्यों ने और प्रसिद्ध नाटककार /रंगकर्मी संजय उपाध्याय ने यहाँ जुड़कर अपना योगदान दिया है.
D. अपने अनुभवों और अध्ययन बच्चों और उनके शिक्षकों से साझा करें. हमसे बात करें और हमारे साथ साझेदारी करें /हमारे सहयोगी बनें.